प्रदेश के करीब 16 हजार अतिथि अध्यापकों को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। राज्य सरकार द्वारा नियमित भर्ती किए जाने तक गेस्ट टीचरों को उनके पद से नहीं हटाया जाएगा। कोर्ट ने नियमित भर्ती के लिए सरकार को समयबद्ध सीमा में बांधा है। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर शुक्रवार को अतिथि अध्यापकों को यह राहत प्रदान की गई। कोर्ट ने भर्ती पूरा करने के 328 दिनों के शेडयूल को पूरा करने का सरकार का आग्रह मान लिया। सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें 31 मार्च तक सभी अतिथि अध्यापकों को रिलीव करने का निर्देश दिया गया था। यह अपील पिछले सप्ताह की थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए कबीर और एसएस निज्जर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
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सूबे के 15 हजार गेस्ट टीचरों को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में टीचरों द्वारा याचिका दायर की थी, इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नियमित अध्यापक भर्ती होने तक गेस्ट टीचरों से काम लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस फैसले का राज्य के अतिथि अध्यापक नेताओं ने स्वागत किया है। राज्य सरकार द्वारा भी इस मसले पर एसएलपी दायर की गई थी। शुक्रवार को दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद में मलिक और उनके साथ में गए कुलदीप सिंह, शशि, जितेंद्र, भूपेंद्र सिंह, ईश्वर सिंह आदि ने फैसला का स्वागत किया है, साथ ही कहा कि इससे 15 हजार परिवारों को राहत मिली है।
हाईकोर्ट ने किया था इनकार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ‘गेस्ट टीचरों’ के मामले में जहां पूर्व में समय देने से इनकार कर चुका था। वहीं इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाए थे। गेस्ट टीचरों की भर्ती को पूरी तरह से नियमविरुद्ध माना गया था। यहां पर यह भी याद रहे कि इस संबंध में पात्र अध्यापक संघ की ओर से हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर पूरी भर्ती पर सवाल खड़े किए गए थे। पात्र अध्यापक संघ का आरोप था कि पूरी भर्ती में भारी अनियमितताएं बरती गई थी। सरकार नियमित करने के लिए निकाले रास्ता
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही अतिथि अध्यापक संघ प्रदेशाध्यक्ष अरुण मलिक ने कहा कि उन्हें अब समय मिल गया है। ऐसे में सरकार को गेस्ट टीचरों को नियमित करने के लिए कोई न कोई रास्ता निकालना चाहिए। मलिक ने बताया कि बीती 28 मार्च को ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें आश्वस्त किया था कि सरकार की ओर से पूरे प्रयास किए जाएंगे कि गेस्ट शिक्षकों की नौकरी बची रहे। मलिक का कहना है कि पहले से ही सरकार का सहयोग मिलता रहा है, ऐसे में अब समय मिलने के बाद में इन 15 हजार परिवारों के लिए सरकार कोई न कोई रास्ता निकाल सकती है। जोरदार पक्ष रखा
सुप्रीम कोर्ट में गेस्ट टीचरों के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने जोरदार पक्ष रखा। सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएस निझर व अलतोमस कबीर ने नियमित भर्ती होने तक इन शिक्षकों से काम लिए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। सरकार की ओर से भी इस मामले में पक्ष रखने के लिए अटार्नी जनरल पहुंचे हुए थे, उन्होंने भी गेस्ट टीचरों को हटाए जाने के बाद में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने जैसी मजबूरी रखी, साथ ही समय देने की मांग की। नौकरी का था संकट
गेस्ट टीचरों के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार को समय देने से इनकार कर दिया था। 31 मार्च के बाद में गेस्ट टीचरों के कामकाज करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से ही 15 हजार शिक्षकों के सामने संकट के हालात पैदा हो गए। गेस्ट टीचरों ने जहां आंदोलन के जरिये सरकार पर दबाव बनाने का सिलसिला आरंभ कर दिया था, वहीं पात्र अध्यापक संघ ने कोर्ट के आदेश मानने साथ ही नई भर्ती करने की मांग करते हुए धरने दिए थे।
1 comments: on "RELIEF TO GUEST TEACHERS FROM SUPREME COURT | SLP DECISION OF SUPREME COURT"
congratulate to all guest teachers for their new contract.
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